क्या था जो खींच लाता उस मोड़ को हर रोज़ बेनागा ? क्या था जो खींच लाता उस मोड़ को हर रोज़ बेनागा ?
प्रेम सार्वभौमिक है सर्वव्यापी है इसका ना ही आदि है ना ही अंत है प्रेम सार्वभौमिक है सर्वव्यापी है इसका ना ही आदि है ना ही अंत है
कृष्णा सा श्यामला, राधा सा शस्य यही। तो क्यों न मीरा सा इसका भी विषपान किया जाए। कृष्णा सा श्यामला, राधा सा शस्य यही। तो क्यों न मीरा सा इसका भी विषपान किया ज...
मौत तो एक रहस्य ही है मौत तो एक रहस्य ही है
साहब की उन्नति का रहस्य साहब की उन्नति का रहस्य
मनवा लगाए बैठे सपनों के बाग़ रे, अब न सुनी है मेरी कोई भी बात ये... मनवा लगाए बैठे सपनों के बाग़ रे, अब न सुनी है मेरी कोई भी बात ये...